अन्य फसलों की तुलना मे मक्का अल्पसमय में पकने और अधिक पैदावार देने वाली फसल है. अगर किसान आई थोड़े से ध्यान से और आज की तकनीकी के अनुसार खेती करे, तो इस फसल की अधिक पैदावार से अच्छा मुनाफाले सकते है. जिसमें कुछ प्रमुख बातों का उल्लेख करेगें.
म क्का (Maize) विश्व में उगाई जाने वाली फसल है. मक्का (Maize) को खरीफ की फसल कहा जाता है, लेकिन बहुत से क्षेत्रों में इसको रवि के समय भी उगाया जाता है. इसके गुणकारी होने के कारण पहले की तुलना में आज के समय इसका उपयोग मानव आहर के रूप में ज्यादा होता है. इसके गुण इस प्रकार है, कार्बोहाइड्रेट 70, प्रोटीन 10 और तेल 4 प्रतिशत पाया जाता है. ये सब तत्व मानव शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक है. साथ ही साथ यह पशुओं का भी प्रमुख आहर है. अन्य फसलों की तुलना मे मक्का (Maize) अल्प समय में पकने और अधिक पैदावार देने वाली फसल है. अगर किसान भाई थोड़े से ध्यान से और आज की तकनीकी के अनुसार खेती करे, तो इस फसल की अधिक पैदावार से अच्छा मुनाफा ले सकते है. जिसमें कुछ प्रमुख बातों का उल्लेख करेगें.
मक्का हेतु जलवायु मक्का की खेती विभिन्न प्रकार की जलवायु में की जा सकती है, परन्तु उष्ण क्षेत्रों में मक्का की वृद्धि, विकास एवं उपज अधिक पाई जाती है. यह गर्म ऋतु की फसल है. इसके जमाव के लिए रात और दिन का तापमान ज्यादा होना चाहिए. मक्के की फसल को शुरुआत के दिनों से भूमि में पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है. जमाव के लिए 18 से 23 डिग्री सेल्सियस तापमान एवं वृद्धि व विकास अवस्था में 28 डिग्री सेल्सियस तापमान उत्तम माना गया है. उपयुक्त भूमि
उपयुक्त भूमि मक्का की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है, परंतु मक्का की अच्छी बढ़वार और उत्पादकता के लिए दोमट एवं मध्यम से भारी मिट्टी जिसमें पर्याप्त मात्रा में जीवांश और उचित जल निकास का प्रबंध हो, उपयुक्त रहती है. लवणीय तथा क्षारीय भूमियां मक्का की खेती के लिए उपयुक्त नहीं रहती.
अंतवर्तीय फसलें मक्का की विभिन्न अवधियों में पकने वाली प्रजातियां उपलब्ध हैं जिसके कारण मक्का को विभिन्न अन्तफसलीकरण खेती के रूप में आसानी से उगाया जा सकता है. मक्का के मुख्य अंतः फसल पद्धतियां इस प्रकार हैं, जैसे
1.मक्का +उडद, ग्वार व मुंग. 2. मक्का+सेम, भिण्डी, बरवटीवहरा धनिया 3. मक्का+तिल, सोयाबीन आदि. मक्के की फसल में अंतरवर्तीय फसलों को 2:2, 2:4 या 2:6 अनुपात में लगाया जा सकता है, परंतु 1:1 सबसे उपयुक्त पाया गया है. भूमि की तैयारी
भूमि की तैयारी पहली जताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें, उसके बाद 2 से 3 जलाई हैरो या देसी हल से करें, मिट्टी के ढेले तोड़ने एवं खेत सीधा करने हेतु हर जुताई के बाद पाटा या सुहागा लगाएँ. यदि मिट्टी में नमी कम हो तो पलेवा करके जुताई करनी चाहिए. सिंचित अवस्था में 60 सेंटीमीटर की दूरी पर मेड़े बनानी चाहिए जिससे जल निकासी में आसानी रहती है और फसल भी अच्छी बढ़ती है.
उन्नत किस्में अति शीघ्र पकने वाली किस्में (75 दिन से कम)- जवाहर मक्का- 8, विवेक- 4, विवेक17 विवेक-43 विवेक-42 और प्रताप हाइब्रिड मक्का-1 आदि प्रमुख है. शीघ्र पकने वाली किस्में (85 दिन से कम)देरी की अवधि में पकने वाली (95 दिन से अधिक)- गंगा- 11 त्रिसुलता, डेक्कन- 101, डेक्कन- 103 डेक्कन- 105, एचएम- 11, एलक्यूपीएम- 4, सरताज, प्रो- 311, बायो- 9681,सीड टैक- 2324, बिस्को- 855, एनके- 6240 और एसएमएच-3904 आदि प्रमुख है. विशिष्ट मक्का की किस्मेंबेबीकॉर्न- वी एल- 78, पीई एच एम-2, पीई एचएम-5 और वी एल बेबी कॉर्न-1आदि. पॉपकॉर्न- अम्बर पॉप, वी एल अम्बर पॉप और पर्ल पॉप आदि.